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क़िताबें / रतन सिंह ढिल्लों
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क़िताबें केवल
पढ़ने के लिए होती हैं
अलमारी में रखने
या सजाने के लिए नहीं
हम क़िताबें
केवल छपवाते हैं
और फिर
दूसरों को दिखाते हैं
बस !
मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला