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स्याणो / कन्हैया लाल सेठिया

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सुण‘र खुड़को
कोली खोलै
झटसी‘क मोड़ो
पूछै पैली
कुण ?
सुण
सैंधी बोली
सिरकावै
आगळ
पण कोनी
चितणा उंडी
जे हूंतो
स्याणो
कोनी बड़ती
वासनावां
समझ‘र
थांरी आंख नै
धरमसाला !