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कुछ क्षणिकाएं / सुनील गज्जाणी
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1. 
दो बून्द,
चरणों में तेरे,
चढ़ा दी तो,
क्या हुआ,
आंखों का पानी
ही तो है।
2. 
औरत
एक पुल
दो खानदानों के बीच।
3. 
मन
मानो
कस्तूरी मृग हो।
4. 
मार्ग
जीवन के भीतर,
मार्ग,
जीवन के बाहर भी।
5. 
रिश्ते
सागर के भांति भी,
रिश्ते,
खडे़ के पानी ज्यूं भी।
6.
रेखाएं,
जीवन और जीवन,
के बाहर का,
खास व्याकरण।
	
	