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मेरा मित्र / नरेश अग्रवाल

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किसी को भुलाया नहीं जा सकता
एक-एक करके सब लौट आयेंगे
वापस इस जिन्दगी में
अलग-अलग विचित्र चीजें
दिखाई देंगी इन रास्तों पर
लेकिन यह नीला आकश
वैसा का वैसा
दूर से अपने रंग भरता हुआ
कभी नहीं छोड़ेगा हमारा पीछा
क्या यही है मित्र मेरा सबसे बड़ा
और इसके पास तो हैं
बड़े-बड़े चाँद-सितारे
मैं एक छोटा सा शून्य
वो भी बिना किसी चमक का
फिर भी यह सम्बरन्धय बनाये रखता है मुझसे
भेजता रहता है अपनी रोशनी मुझे हर पल।