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कम शब्द / नरेश अग्रवाल

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मिले नहीं मुझे उतने कम शब्द
जिनसे रचा जाये छोटे में विराट को
या चुप रहकर भी कह दिया जाये
एक बयान गहनतम सुन्दरता का
फिर भी जो था थोड़ा सा
अगरबत्ती के धुएँ सा
करता था बयान उसी से लोगों का
और लगता था जुड़ा हुआ हूँ उनकी
आत्मा से ।