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नई चीजें / नरेश अग्रवाल
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जो चीजें नई होंगी उन्हें ही लोग पढ़ेंगे
नई चीजों में नये वातावरण होते हैं
मन ऐसे कोनों में पहुंच जाता है
जिसे उसने छुआ नहीं था अभी तक
चारों तरफ नई-नई तस्वीरें
जिनके रंग अलग-अलग तरीकों से भरे हुए।
एक अलग तरह की चेतना जाग उठती है
जैसे सोये हुए हमारे पक्ष को
किसी ने जागृति प्रदान की हो
हम चीजों को अधिक सतर्कता पूर्वक पढ़ते हैं
पढ़ते-पढ़ते हमारा रुझान बढ़ता जाता है
पढ़ते-पढ़ते लगता है कुछ प्राप्त हुआ
उठने लगते हैं मस्तिष्क में कुछ नये विचार
जिनका उपयोग कभी न कभी हम करेंगे।
इन नयी बातों को, दूसरों को बताने में भी
कितना अधिक आनंद आता है