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कीड़े / नरेश अग्रवाल
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जब कीड़े घुस जाएं फल में
क्षीण हो जाता है उसका मूल्य
और जो मूल्यहीन है
फेंक दिया जाता है बाजार में।
हमने देर लगा दी
नष्ट होते हुए को देखने में
नाव में कब सुराख हुआ
मालूम ही नहीं पड़ा।
अपनी चलनी को बचाकर रखना है
तभी घुलेगी आटे की मिठास जीभ पर
जख्म हुए तो पांव में वेदना की चुभन
और निहायत जरूरी है
लोहे के बक्से तक को मजबूत रखना
मधुमक्खी अपने डंक लेकर हमेशा सावधान है
सावधान है वह भीड़
जो बार-बार तालियां बजा रही
लेकिन उतने सावधान नहीं
इसे सुनने वाले लोग
कीड़े अपना स्वभाव कभी नहीं छोड़ेंगे।