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बौने / अनिल विभाकर
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बौने चढ गये पहाड़
तोड़ लिया जमीन से रिश्ता
उनके पहाड़ चढने से हमें क्या एतराज
पहाड़ पर चढे बौने और भी बौने नजर आते हैं
इस युग में कठिन जरूर है मेरुदंड की रक्षा
मुश्किल में है नमक की लाज
घोंसले में कब घुस जायेंगे संपोले
कठिन है कहना
सच तो यह भी है
बौने, बौने ही नजर आएंगे राजसिंहासन पर भी
बड़े होने के लिए जरूरी है खुद का कद बढाना
बड़े कद वाले भी बौनों की तीमारदारी में
जब गाते हैं राग राज, पढते हैं कसीदे
वे बौने हो जाते हैं।