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हे राम! / नवनीत पाण्डे

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क्या नहीं किया मैंने
क्या नहीं दिया मैंने
अपना सब कुछ तो कर दिया होम
सब कुछ तो
क्या है-
पैरों की चाल
हाथों की ताकत
इच्छा की उड़ान
संकल्पों का परिणाम
फ़िर भी नहीं भूलते लोग
हर दिवस, सुबह-शाम
पत्थर को प्रणाम
हे राम! हे राम!