भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अनुकरण / हरीश करमचंदाणी

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:19, 25 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>किसी इतवार को या छुट्टी के दिन बच्चों के बहाने हम खेलेंगे घर-घर …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

किसी इतवार को
या छुट्टी के दिन
बच्चों के बहाने
हम खेलेंगे घर-घर वाला खेल
शायद इसी तरह
हम सीख जाएँ एक दिन
घर बनाना