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उसने सोचा / भगवत रावत
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कमरे के बाहर
और कमरे के अंदर के दृश्य को
साँसों में भरते हुए
उसने सोचा
आँधी होती
तो निकल गई होती अब तक
उड़ाती हुई धूल
अपने साथ
तूफ़ान होता
तो जा चुका होता
बहुत कुछ
तोड़-फोड़ कर
बस वह
चुपचाप आई
और फैल गई
आस-पास ।