चाहिए था / शहंशाह आलम
हमें जन्म से लेकर अब तक
कुछ भी नहीं मिला था
हमें जो-जो कुछ नहीं मिला था
वो सब याददाश्त में था हमारी
और हमारी याददाश्त से
हमारे रहनुमा बहुत घबराते थे
चाहिए था हमें हमारा भोलापन
और बांकपन और सादगी भी
चाहिए था हमारी त्वचा को
एक मुलायम स्पर्श
ताकि जन्म ले पौधा
फिर आए वसंत उस पर
चाहिए था शब्द
चाहिए था स्वर
चाहिए था चेहरा
चाहिए था अनुभव
चाहिए था वाक्य
चाहिए था वितान
चाहिए था भरा हुआ कनस्तर
अनाज से वस्तुओं से
धनछूहों का भय नहीं
कठफोड़वों की ठुक-ठुक नहीं
बाघों की गुर्राहट भी नहीं
चाहिए थी ऐसी नदी ऐसा जंगल
जिसमें शिकार वर्जित हो
आंख खुले तो सामने सेब का वृक्ष चाहिए था
स्वस्थ केले का गाछ चाहिए था
चाहिए था प्रेम सघन
और प्रेम के लिए सन्नाटा
अदृश्य में भी दृश्य चाहिए था।