भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आतंक / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:01, 8 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=फिर मैं फिर से फिर कर आता /…)
रोज फूटते रिकार्ड
आंकड़े छापते अखबार
हमले, बम-गोले
अपने बनते हथियार
तकाजा बेदर्दों का
बेकस परिवारों का
सहमा बाजार
डर, कुछ भी होने का
सवाल सुरक्षा का
गारंटी गार्डो की
कितने दरवाजे अलॉट हुए हैं
यमराज को
जाने कहां से निकल आए
मांग ले जीन का हिसाब।