भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सीया सुधि सुनु हे रघुराइ

Kavita Kosh से
Amitesh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:05, 10 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मैथिली }} <poem> सीया सुधि सुनु ह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सीया सुधि सुनु हे रघुराइ

विप्र रूप रावण बन आयल भिक्षा लय रघुराई

भिक्षा लय निकलनि जानकी रथ पर लियो चढ़ाई

करूणा करति जाय जानकी शरण शरण गोहराई

कियो वीर अयोध्या जाइ के दशरथ खबरि जनाय

ककर प्रिया, नाम कि अछि, कौन विप्र हरि लय जाई

राम क प्रिता सीता नाम अछि, रावण विप्र हरि लय जाई

एतबा बचन सुननि गिद्ध खगपति रथ स लियो छोड़ाई

अपनहीं चोंच स महायुद्ध कियो, रथ को दिया विलमाई

अग्नि बान गहि मारल निशाचर पंख गयो भहराई

तुलसीदास रघुपति जब अईहें, कहब कथा समुझाई




यह गीत श्रीमति रीता मिश्र की डायरी से