भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूरज / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:19, 20 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=बारिश में खंडहर / नंदकि…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आयीं तुम
सूरज की तरह
नहीं देख पाया गो जिस की ओर-
उसी में देख रहा हूँ
सारी दुनिया।

(1990)