भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सरकारी पर्व / निशान्त
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:44, 7 अक्टूबर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>न होता होगा आभास जन स…)
न होता होगा
आभास
जन साधारण को
साल में दो बार आने वाले
इन सरकारी त्यौहारों का
तफरीह का दिन होता है यह
सरकारी अमले के लिए
उत्साह होता है
उन हाथों में जो फहराते हैं
झण्डे
खुश होते हैं
वे सिपाही
और बच्चे
जो शामिल कर लिए जाते हैं
परेड में