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रचना / मधुप मोहता
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यूं तुम्हारे प्रति
समर्पित तो नहीं हूं
किंतु जब भी,
वेदना के विवर, यायावर
पगों को बांध लूंगा,
चेतना के उस प्रथम क्षण को
तुम्हारा नाम दूंगा,
अभिव्यक्ति के उस प्रथम
स्वर को
तुम्हारा नाम दूंगा।