भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सयानी बिटिया / अशोक अंजुम
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:16, 25 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक अंजुम |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> जबसे ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जबसे हुई सयानी बिटिया
भूली राजा-रानी बिटिया
बाज़ारों में आते-जाते
होती पानी-पानी बिटिया
जाना तुझे पराये घर को
मत कर यों मनमानी बिटिया
किस घर को अपना घर समझे
जीवन-भर कब जानी बिटिया
चॉकलेट भैया को भाये
पाती है गुड़धानी बिटिया
सारा जीवन इच्छाओं की
देती है कुर्बानी बिटिया
चौका, चूल्हा, झाडू, बर्तन
भूल गई शैतानी बिटिया
हल्दी, बिछूए, कंगल मेंहदी
पाकर हुई बिरानी बिटिया