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चाँदनी / राधेश्याम बन्धु
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यातना यह 
औ’ पिछवाड़े बेला संग 
बतियाती चाँदनी
रिश्तों की उलझन को 
सुलझाती चाँदनी
चाहो तो बाँहों को 
हथकड़ी बना लेना 
मौन के कपोलों पर 
संधि -पत्र लिख देना
एकाकी जीना क्या 
समझाती चाँदनी
यादों के जूड़े में 
मौलश्री टाँक दो 
मिलनों के गजरे में 
सपनो को बाँध लो 
महुआ तन छेड़-छाड़ 
इठलाती चाँदनी 
यादों की निशिगंधा 
रात -रात जागती 
मिलनों की एक रात 
पूनम से माँगती
 
गंधों की पाती नित 
लिखवाती चाँदनी
	
	