भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उत्सव / जय गोस्वामी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:14, 29 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=जय गोस्वामी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> गाड़ के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
गाड़ के रखी लाशों के पहले
है बहा दी गई लाशों की कहानी
तालपाटी नहर से बह-बह
इस देश के सारे नदी किनारे
कोई औंधा कोई चित्त पड़ा शव ।
शरीर में गोली का ज़ख़्म । ऊपर माथे के
भर रात चाँद का पहरा ।
जिन लोगों ने चलाई है गोली कविता उत्सव का लेते सहारा ।
बांग्ला से अनुवाद : संजय भारती