भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आँसू / रामनरेश त्रिपाठी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:38, 9 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश त्रिपाठी |संग्रह=मानसी / र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आँखों के रतन विरही के मूलधन
सुख-शांति के सहायक सखा हैं प्रेममय के।
करुणा के कोमल कुमार हैं ये पीड़ितों की
नीरव पुकार हैं वकील हैं विनय के॥
दीनों के सहारे शिशुओं के प्राणप्यारे
ऐसे साथी नहीं कोई जग में है कुसमय के।
छेड़ो मत, निकल पड़ेंगे, कह देंगे, इन
आँसुओं के पास इतिहास हैं हृदय के॥