भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सवाल / विश्वनाथप्रसाद तिवारी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:10, 9 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह=आख...' के साथ नया पन्ना बनाया)
अट्ठारह अक्षौहिणी सेना के कट जाने के बाद
जो बच गया
वह एक सवाल था
सृष्टि की सारी स्याही चुक जाने के बाद
जो बच गया
वह एक सवाल था
सच यह है दोस्तो
कि कुछ भी सच नहीं है
सोचना
मेरे बच्चो
मिट्टी के धीरज और दूब की विनम्रता के साथ
सोचना
कि मैं जो कुछ कह रहा हूँ
वह भी सच नहीं है
ढूँढ़ना
मेरे बच्चो
चट्टान की निर्ममता और डूबते आदमी की बेचैनी के साथ
ढूँढ़ना
कि जो बच जाएगा तुम्हारे बाद
वह भी एक सवाल है ।