भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बारिश / सुधीर सक्सेना

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:30, 8 फ़रवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=रात जब चन्द...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इस साल भी
बारिश आएगी
बरसेंगे मेघ
चाहता हूँ इस साल
तुम मेरी उँगलियों से
और मैं तुम्हारी उँगलियों से
छुऊँ बारिश्की बूँद
देखो ! चमक रही है बिजली
सुनो ! गरज रहे हैं मेघ
औचक किसी भी पल झर सकती हैं बूँदें