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बढ़ता बचपन / संजय अलंग
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बातें चंचल करता लड़का
पहले था वह बातों का कड़का
कहाँ से आईं इतनी बातें
हरी-भरी परी सौगातें
बातें करता गतपट झटपट
न्यारी सुन्दर चंचल पटपट
भरी शरारत आँखें मटकाता
दिल सभी का उस पर आता