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सम्मान / सुदर्शन प्रियदर्शिनी
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गिरवी रख कर 
भूख 
सम्मान पिघल 
जाते हैं ..
छलनी हुई
मानवता से
इतिहास निगल
जाते है ..
आडम्बर को 
ओड़ कर तो
जीने के 
अभ्यस्त हैं हम ..
सोचते भी नही
की- कब 
काल निकल जाते हैं 1
 ताक झाँक में 
बीत गये 
अतीत और वर्तमान 
अपने से तो हम 
आप निकल जाते हैं 
 
	
	

