एक खबर / लीलाधर जगूड़ी
अकसर
आतंकवादी सड़कों के किनारे गन्ने के खेतों में छिप जाते हैं
इसलिए गन्ना जलवाया जा रहा है
रामदीन कुछ गहरे डूब कर बोला...
गन्ना महँगा गुड़ बन जाए, महँगी चीनी बन जाए
गन्ने को कीड़ा लग जाए
इसी तरह का रोग है कि गन्ने में आतंकवादी छिप जाए
सुलहदीन बोला..
अचरज नहीं कि पीपलवाले भूत से यादा
गन्ने से डर लग जाए
मातादीन बोला..गन्ने से उगता है उद्यम
और हर उद्यम में जा छिपता है आतंकवादी
रामदीन भी पलट कर बोला..
पर अगर आलू के बराबर हो गए आतंकी
गोली-बारूद आलुओं में से चलने लगे
मान लीजिए वे अरहर में छिप जाएँ
धान में छिप जाएँ
सारे अन्न-क्षेत्र में आतंकी ही आतंकी हों
वे अड़ जाएँ और इतने बढ़ जाएँ
कि साग भाजियों में भी कीड़ों की तरह पड़ जाएँ
तब भाई मातादीन हम अपना क्या-क्या जलाएंगे ?