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हाइकु 11-20/ भावना कुँअर
Kavita Kosh से
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11
चम्पा -चमेली
बाँटने को खुशबू
फिरें अकेली।
12
जिद पे अड़ी
अलसाई चाँदनी
छत पे चढ़ी।
13
नन्हीं बुंदियाँ
ठुमुककर आतीं
नाच दिखातीं।
14
चिड़िया टोली
बैठ मुँडेर पर
बेबाक बोली।
15
धूल उड़ाते
जानवरों के दल
साज बजाते।
16
चिड़िया रानी
पसीने से नहाए
पंख सुखाए।
17
गेहूँ की बाली
होकर मदहोश
बजाए ताली।
18
फूल -गगरी
टूटकर बिखरी
गन्ध छितरी।
19
चबा ही डाली
बेदर्द चिड़िया ने
तितली प्यारी।
20
दहकी जब
पलाश की अँगीठी
डरा अँधेरा।
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