भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ड्योढ़ी पर तेल / अज्ञेय
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:44, 11 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=क्योंकि मैं उसे जा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
ड्योढ़ी पर तेल चुआने के लिए
लुटिया तो मँगनी भी मिल जाएगी;
उत्सव के लिए जो मंगली-घड़ी चाहिए
वह क्या इसी लिलार-रेखा पर आएगी?
ग्वालियार, 18 अगस्त, 1968