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कावंड़िए़ / लालित्य ललित
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बम बम भोले
जय जय शिवशंकर,
कांटा लगा न कंकर
कावंडियों का हुजूम चला जा
रहा है
इनमें सारे भक्त हों
सारे श्रद्धालु हों
यह कहना मुश्किल है
शोर-शराबा कष्ट देना
यातायात में उपद्रव करना
बखेड़ा आगजनी
तोड़फोड़ क्या यही
परिभाषा है
कावंड़िए की
नन्हीं बच्ची ने
अपने पिता से पूछा
पिता बच्ची के सवाल से
हतप्रभ रह गए
और चुप्पी साध ली
जय जय शिवशंकर
रेला नज़दीक से गुज़र गया