भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हवा / सत्यनारायण सोनी
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:01, 26 अक्टूबर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यनारायण सोनी |संग्रह=कवि होने...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हवा
जो आज जख्मी है
कल
कत्ल कर दी जाएगी
सरेआम।
तब
ठूंठ दरख्तों को देखते
मुर्दे घूमेंगे
ठांव-ठांव।
1989