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हवा / सत्यनारायण सोनी

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हवा
जो आज जख्मी है
कल
कत्ल कर दी जाएगी
सरेआम।

तब
ठूंठ दरख्तों को देखते
मुर्दे घूमेंगे
ठांव-ठांव।

1989