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मित्र (2) / सत्यनारायण सोनी

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यह जो बजी घंटी
टेलीफोन की
सुनी दिल ने।

घंटी में
उसका ही नाम लिया है
टेलीफोन ने।

सबका प्यारा है जो
इसके भी तो मन भाया है।

2004