भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मित्र (5) / सत्यनारायण सोनी

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:15, 26 अक्टूबर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यनारायण सोनी |संग्रह=कवि होने...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
यह जो खत
तुमने उठाया है,
परदेश गए
मेरे मित्र का
आया है।

इसके हरफ-हरफ में
वह नहीं,
उसका श्रम बोलता है।

सूंघो तो जरा,
पसीने की बू आएगी।

2004