स्थगन / आशुतोष दुबे
(उस अभिनेत्री के लिए, जो अब ख़ुद को भी दिखाई नहीं देना चाहती)
अदृश्य होने के लिए मृत्यु के अलावा कोई मददगार नहीं होता
और अगर वहाँ से इमदाद न मिले तो
घर को ही ताबूत में बदला जा सकता है
ख़ुद को एक धड़कते हुए शव में
यह न लौटना है, न आगे बढ़ना है
यह एक स्थगन में रहना है
कोई घूमता है प्रेत की तरह
बीत चुके के रेगिस्तान
और मौजूद के बियाबान में
जबकि आगत के लिए सारे दरवाज़े बन्द कर दिए गए हैं
और उनसे सिर टकराते हुए वह
ज़ख़्मी और मायूस हो चला है
दिमाग़ की खिड़कियों के शीशों पर
गुज़रे हुए कल की बारिशों का शोर है
उसमें खड़े रहना है
ज़रा भी भीगे बग़ैर
बाहर का संसार दरवाज़े पर कान लगाए है
कि कोई हलचल, कोई आहट सुनाई दे
भीतर यह जानलेवा कोशिश
कि किसी सेंध से कुछ भी न आ सके--
न तालियों की गड़गड़ाहट,
न किसी की पुकार
न कोई याद
भीतर से बन्द दरवाज़ों से एक प्रार्थना टकराती रहती है
संसार की याददाश्त चली जाए
वह दरवाज़े खोल दे
और कोई उसे पहचान न पाए