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एक सत्य / अमृता भारती

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मेरे जीवन की बर्फ़ पर
लिख जाते कुछ नाम
कुछ स्वप्न
कुछ इन्द्रधनुष
बार-बार --

फिर टूटते बर्फ़ में सब पुँछ जाता
या गल जाता --

अपनी छूटी हुई असंख्यता में
खड़ी मैं
खोजती एक सत्य
अन्दर की
कन्दरा में बड़ा हुआ
एक सत्य
अपना
सबसे जुड़ा हुआ ।