भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फरक!/ कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:37, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण
मंजल पर पूग्यां पैली ही
टूटगी काची लैर चनेक अणमणी हू‘र
मींडकी छळांग ली
सपकै‘र पकड़ली
नुंई लैर री आंगळी
देख‘ आई जी में
जे पग थाम ले जिनगानी
तो कांई फरक
मौत में‘र बीं में !