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थथोपो / कन्हैया लाल सेठिया

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पड़सी
खोलणी
भींच्योड़ी मुठ्ठी
आंतां ही
बीजणै री रूत,
करयां सरसी
माटी रो विश्वास,
आ जामण
कोनी डाकण,
मनैं ठा है
रूळगी थारी
लारली साल री बोरगत,
इण रो
दोषी ओ अकास,
जको मान‘र
छिनाल पून री सीख
कोनी ढबण दिया
बीजल बंका बादलां रा पग
दियो आसरो
दुरकायोडां नै
धरती रो धणी
हिमालो,
बैठग्या
थाक्योड़ा बठै
बण‘र पालो,
अबै फेर
कर‘र आंख ताती
बाळै सूरज
समदर री छाती
दापलगी चुगलखोर पून
आवै घुमट‘र कलायण
फीठै
रूं तोड़ आभै रो
माजनो
मिठ बोला मोरिया !