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भरम / कन्हैया लाल सेठिया
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मेलतां ही
एक पग आगै
आ‘ग्यो
बो ही
सागी गेलो मुडांगै
जको छूटग्यो हो
चनेक पैली लारै,
इंयां ईं
सगळो संसार
साव लुक मींचणी री रमत,
नहीं ईं में
कोई कठैई गमै
न कोई लाधै,
ओ तो रूळयोड़ी दीठ रो
एक भरम फकत !