भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हेलो / गौरीशंकर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:37, 23 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौरीशंकर |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{KKCatRajasthaniRa...' के साथ नया पन्ना बनाया)
आजकालै
म्हारी मां
ढेलड़ी है
कै वा
म्हानैं सूत्योड़ा नैं उठावै
हेलो देवै
कूंऽऽ कूंऽऽ
म्हैं उठां।