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चिमतकार / कन्हैया लाल सेठिया

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जे देख्यो चावै
चिमतकार
लगा दै ल्या’र सिंदूर
कोई भाटै पर
बण ज्यासी देवता
ठोकरां खातो भाटो
देसी लोग धोेक
मानसी मानता
आ हिंगळू री
करामात
कानी और कोई रंग में
आ बात !