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रेत (12) / अश्वनी शर्मा
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टीले की चोटी से
लूढ़कने के उपक्रम में
लगता है
साथ ही लूढ़क रहा है टीला
किंतु टीला कभी नहीं लुढ़कता
अपनी ऊंचाई से
ऊंचाई से लुढ़कता है
आदमी ही।