भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रेत (17) / अश्वनी शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:14, 29 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अश्वनी शर्मा |संग्रह=रेत रेत धड़क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हर साल आते हैं
ये पावणे
हजारों मील से
तिलोर, बट्टा, मुर्गाबी
और कुरजां
देखते ही नहीं
अब तो लोग जानते हैं
इनका स्वाद भी।