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तलाश / संज्ञा सिंह
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जनाब !
क्या आपकी निगाह में कोई
ख्यातिलब्ध नाम है
जो रोशनी और छाया दोनों मुहैया करा सके ।
मैं इन दोनों की चाह में
दर-दर भटक रही हूँ
नहीं उछाल रही हूँ
कोई रोड़ा
अटकने के भय से
मेरी झील थम गई है
उसमें तरंगें नहीं
दुश्चिन्ताएँ उछल रही हैं
हुज़ूर आप मेरी मदद करें
क्योंकि भारत संस्कृतियों का देश है
बेटी, ज़मीन और संस्कृति'
सबकी होती है