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क्रांति चुपचाप / लीना मल्होत्रा

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वह जो टूटता हुआ तारा है न
वह एक क्रांति करते हुए शहीद हुआ है
उन सब आकाश गंगाओं के खिलाफ
जो अपनी रफ़्तार की मदहोशी में गुम हो चुकी हैं
और उन तारों के विरूद्ध जो अपनी तयशुदा कुर्सियों पर बैठ गये हैं तन कर
उन सब आँखों के खिलाफ जो आसमान में तारे देखना भूल गई हैं
और उस प्रदूषण के खिलाफ जो एक गहरा घना सितम बन कर अन्तरिक्ष में बरामद हो रहा है
और जिसके कारागार आसमानों में बनाए जाने की योजनाये फलित हो रही हैं.

वह जानता था सुने नही जायेंगे उसके नारे
लेकिन उसमे चमक थी फ़ना होकर खो जाने से पहले एक बार चुंधिया देने की आँखों को
उसने फैला दी है रौशनी
ताकि अंधेरों में छिपा कर रखा हुआ सत्य उजागर हो जाए
सच की रौशनी में भटकते मुसाफिर ढून्ढ पाए अपने खोये हुए रास्ते

एक आम आदमी की तरह था उस तारो भरे जहान में वह टूटता हुआ सितारा
जिसके पास
दुनिया को जला देने जितनी आग न सही
लेकिन
उजाला फ़ैलाने को पर्याप्त चिंगारी ज़रूर थी.