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बणाव / देवकरण जोशी

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चालै पून
सरण-सरण
उडै रेत
फरण-फरण
छोटो-सो
तिणकलो
रोकै
उडती रेत नैं
थोड़ी-सी रेत
थम ई जावै
पण
ओ कांई ?
बणग्यो बठै
टिबडिय़ो
सिंझ्या तांई।