भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साँचा:KKPoemOfTheWeek
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:28, 20 मई 2014 का अवतरण
नई सदी
रचनाकार: नीलेश रघुवंशी
आतंक और बर्बरता से शुरू हुई नई सदी धार्मिक उन्माद और बर्बर हमले बने पहचान इक्कीसवीं सदी के बदा था इक्कीसवीं सदी की क़िस्मत में मरते जाना हर दिन बेगुनाह लोगों का हज़ार बरस पीछे ढकेलने का षड्यन्त्र ! आख़िर किया किसने ? किसने ? किसने ढकेला जीवन के बुनियादी हक़ों को हाशिए पर ? क्या सचमुच इक्कीसवीं सदी उन्माद और युद्धोन्माद की सदी होगी या होगी उजड़ते संसार में एक हरी पत्ती की तरह ?