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अखरता है / नीलेश रघुवंशी
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रातों-रात अमीर बनने का सपना
लॉटरी का नम्बर न आना, अखरता है
अखरता है,
आवारा मस्त फक्कड़ दोस्त का कुएँ में कूदना
कॉलेज के दिनों की सहेली, हँसाते-हँसाते दुखा देती थी जो पेट
अपने बच्चों को लेकर, लेट गई रेल-पटरी पर
उसके पति का पान चबाता मुँह
तिस पर उँगली में अँगूठी, गले में चेन अखरती है
क्लास का सबसे होशियार लड़का रात-दिन एक करता पढ़ाई में
उसका रँगे हाथ रिश्वत लेते गिरफ़्तार होना, अखरता है
सारी दुनिया एक चौपाल, गलियाँ जिसमें कई-कई
अपनी कोई गली नहीं, बन्द गली का देश, अखरता है ।