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अड़तीस / प्रमोद कुमार शर्मा
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सतजुग है भाखा रै पेट मांय!
-पण रोळा भोत करै
देवता किलोळ करै बेहुदै ढंग सूं
हवन करै साम्राज्यवादी खून रै रंग सूं
टूटै जणा लै भोळी स्रिस्टि री
-भोळो रोळा भोत करै!
सतजुग है भाखा रै पेट मांय
-पण रोळा भोत करै।