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चौंतीस / प्रमोद कुमार शर्मा
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सबद नांदियो है सिव रो
बैठ्यो नित रो ध्यान लगावै
-जगावै
सुरता नैं दंडौत थकां
मन मैलो है गंगोद थकां
इण सारू ध्यान लगा सिव रो
चौरासी रै जापै मांय
-क्यूं कुरळावै!