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बंदर जी / दीनदयाल शर्मा
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बन्दर जी तुम आओ जी,
क्यों इतने घबराओ जी ।
तुम्हें देख बच्चे खुश होते,
इनको और हँसाओ जी ।
बच्चे यदि तुम्हें छेड़े तो,
इनको खूब डराओ जी ।
खाने की कोई चीज़ तुम्हें देें,
झटपझट से तुम खाओ जी ।
चपर-चपर तुम अदरक खाकर,
इसका स्वाद बताओ जी ।
धोती-कुर्ता पहन के टोपी,
इतने मत इतराओ जी ।
नक़ल में हो तुम सबसे आगे,
कुछ करके दिखलाओ जी ।
सरकस में हो या तुम घर में,
सब के मन को भाओ जी ।।