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कक्का हौ ... / चन्द्रमणि

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कक्का हौ कक्का हौ
मोटरवाला कक्का हौ
पहिने छलहक दुग्गी-तिग्गी
आब कोना तों छक्का हौ।
पहिरै छलहक साँची-धोती
कुर्ता डोपटा पाग हौ
एक्कहि बेर कलकत्ता गेने
जगलह तोरो भाग हौ
बदलि अङगरखा सूटमे लागह
गिरगिट नांगरि छट्टा हौ....कक्का हौ
बाँचै छलहक अप्पन भाखा
रामायण आ‘ गीता हौ
आब फिलिम के ट्यून गबै छह
नाम जपै छह रीटा हौ
बङगरेजी बाजैत लगै छह
भाकुर सन मुँहफट्टा हौ...कक्का हौ
पाबै छलहक घर-घर जलखै
छलह खेत सब भरना हौ
आब कोनाकऽ सौंसे दुनियाँ
लगा रहल छह लहना हौ
कोनकऽ सिखलह मूड़ब अनका
तों पकिया घेंटकट्टा हौ-कक्का हौ